मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन, केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए ही नहीं, बल्कि अपने पवित्र घाटों के लिए भी प्रसिद्ध है। इन्हीं घाटों में सबसे प्रमुख और प्राचीन है – राम घाट उज्जैन। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह घाट आध्यात्मिक ऊर्जा, ऐतिहासिक महत्व और भक्ति की भावना से सराबोर है।
राम घाट का नाम भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान यहाँ शिप्रा नदी में स्नान किया था। तभी से यह स्थान हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है।
यह घाट हजारों वर्षों से साधु-संतों, ऋषियों और भक्तों का तपस्थल रहा है। यहाँ से अनेक आध्यात्मिक आंदोलनों की शुरुआत हुई और आज भी यह स्थान भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण है।
उज्जैन कुंभ मेला, जिसे सिंहस्थ भी कहा जाता है, राम घाट पर आयोजित होता है। हर 12 साल में एक बार लगने वाला यह मेला करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। कुंभ के दौरान राम घाट पर स्नान करना मोक्षदायक माना जाता है।
यहाँ की सुबह और शाम की आरती, विशेष रूप से सिंहस्थ के दौरान, एक दिव्य अनुभव होता है। दीपों की रोशनी, घंटियों की ध्वनि और शंखनाद के साथ जब गंगा आरती होती है, तो लगता है मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।
उज्जैन रेलवे स्टेशन से राम घाट की दूरी लगभग 2 किमी है। ऑटो, ई-रिक्शा और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
राम घाट उज्जैन सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। यहाँ आकर व्यक्ति केवल जल में स्नान नहीं करता, बल्कि आत्मा को शुद्ध करता है। अगर आप उज्जैन की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो राम घाट को अपनी सूची में जरूर शामिल करें।
यह घाट आपको न केवल आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई से भी परिचय कराता है।
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